भारतीय टीम के हेड कोच बनते ही, गौतम गंभीर ने दिया विस्फोटक बयान। शाहरुख खान के,chak de फ़िल्म जैसा बयान😡🇮🇳
भारतीय हेड कोच ने कहा, ''वो सिर्फ एक या दो प्रारूप के बनकर नहीं रहना चाहते। चोट तो खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा है। अगर आप तीनों प्रारूप खेल रहे हैं तो चोटिल होंगे। आप ठीक होकर वापस आएं, लेकिन तीनों प्रारूप खेलें। अगर आप बहुत अच्छे हैं तो आगे बढ़े और तीनों प्रारूप के मुकाबले खेलें।''
दोस्तों भारतीय टीम का हेड कोच बनने के बाद गौतम गंभीर ने जिस अंदाज में बयान दिया उसे सुनकर लोगों को मशहूर फिल्म चक-दे इंडिया याद आ जाएगी। इस फिल्म में कोच कबीर खान (शाहरुख खान) ने कहा था कि सबसे पहले देश और फिर अपनी टीम के लिए खेले... और फिर भी अगर जान बच जाए तो अपने लिए खेलें। गंभीर ने जानें क्या-क्या कहा।
गौतम गंभीर ने कहा कि खिलाड़ी फिट हो तो सभी प्रारूप खेल सकता है
गौतम गंभीर ने कहा कि एक ही संदेश है, खिलाड़ी ईमानदारी से खेले
गौतम गंभीर ने कहा कि खिलाड़ी को सबसे पहले अपनी टीम के लिए खेलना चाहिए क्योंकि क्रिकेट एक टीम गेम है।
,,, दोस्तों आपको याद होगा कि बॉलीवुड फिल्म चक-दे इंडिया में किस तरह कोच कबीर खान (शाहरुख खान) अपनी टीम से कहते हैं कि सबसे पहले आपको अपने मुल्क के लिए खेलना है। फिर आपको अपनी टीम के लिए खेलना है और अगर फिर भी जान बच जाए तो अपने लिए खेलना है। गौतम गंभीर ने क्रिकेट को व्यक्तिगत खेल से ऊपर टीम गेम करार देकर फिल्म की कुछ ऐसी ही यादें ताजा की हैं।
गौतम गंभीर ने स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा, ''सिर्फ एक ही संदेश है कि कोशिश करें और ईमानदारी से खेलें। अपने पेशे के लिए ईमानदार रहे। निश्चित ही नतीजे आपका पीछा करेंगे। जब मैं बल्ला उठाता तो कभी नतीजे के बारे में नहीं सोचता था। मैंने कभी नहीं सोचा कि इतने रन बनाऊंगा। मेरा हमेशा से मानना रहा कि मुझे ईमानदार रहना है और अपने पेशे के साथ न्याय करना है।''
आधुनिक युग में कई खिलाड़ी अपनी क्षमता के मुताबिक प्रारूप का चयन कर रहे हैं। गंभीर ने इस पर बात करते हुए कहा, ''मेरा एक चीज में बहुत मानना है कि अगर आप अच्छे हैं तो सभी प्रारूप खेलना चाहिए। मैं कभी चोट प्रबंधन में नहीं मानता। आप चोटिल हो तो ठीक होने जाइए। यह बहुत आसान है। जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं और अच्छे हैं तो सभी शीर्ष खिलाड़ियों से जानेंगे कि तीनों प्रारूप खेलना चाहते हैं।''
भारतीय हेड कोच ने कहा, ''वो सिर्फ एक या दो प्रारूप के बनकर नहीं रहना चाहते। चोट तो खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा है। अगर आप तीनों प्रारूप खेल रहे हैं तो चोटिल होंगे। आप ठीक होकर वापस आएं, लेकिन तीनों प्रारूप खेलें। अगर आप बहुत अच्छे हैं तो आगे बढ़े और तीनों प्रारूप के मुकाबले खेलें।''भारतीय हेड कोच ने कहा, ''वो सिर्फ एक या दो प्रारूप के बनकर नहीं रहना चाहते। चोट तो खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा है। अगर आप तीनों प्रारूप खेल रहे हैं तो चोटिल होंगे। आप ठीक होकर वापस आएं, लेकिन तीनों प्रारूप खेलें। अगर आप बहुत अच्छे हैं तो आगे बढ़े और तीनों प्रारूप के मुकाबले खेलें।''
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